सत्संग " ----- - सत्संग वह आईना है।
जहाँ पर ' सत्संगी ' अपने अवगुणों को देख कर सुधारने की कोशिश करता है।
और उसकी कोशिश ही उसे एक
दिन ' गुरमुख ' बना देती है।
इंसान का खुद का सुधरना भी किसी सेवा से कम नहीं है।
सत्संग " ----- - सत्संग वह आईना है।
जहाँ पर ' सत्संगी ' अपने अवगुणों को देख कर सुधारने की कोशिश करता है।
और उसकी कोशिश ही उसे एक
दिन ' गुरमुख ' बना देती है।
इंसान का खुद का सुधरना भी किसी सेवा से कम नहीं है।